भूतिया बारात और अंधेरा रास्ता | Bhutiya kahani

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मेरे दादाजी एक बार हमें एक कहानी बता रहे थे जो उनके साथ घटित हुई थी | 

तो ऐसा हुआ था कि एक दिन वह रात में किसी की शादी से वापस लौट रहे थे | वहां पर बीच में एक जंगल पड़ता था वह काफी सुनसान था तो जैसे-जैसे वह आगे बढ़ते जा रहे थे तब उन्हें एहसास होने लगा कि उनके पीछे कोई चलता हुआ है तो पहले तो उन्होंने पलट कर देखा जैसे हीउन्होंने पलट कर देखा तब वहां पर कोई भी नहीं था | तो उन्हें लगा कि हो सकता है यह उनका भ्रम है | तो इसलिए फिर से वह वापस आगे की तरफ चलने लगे |

अब जैसे-जैसे वह फिर से आगे बढ़ रहे थे तो उन्हें फिर अब एहसास हुआ की बहुत से लोग उनके पीछे चल रहे हैं, तो उन्होंने अचानक से जैसे ही पलट के देखा तो हैरानी की बात है पहले तो वहां पर कोई भी नहीं था खाली सुनसान रास्ता था पर अचानक से वहां पर एक बारात प्रकट हो गई थी |अब वह उस बारात को देखकर काफी डर चुके थे तभी अचानक से उनमें से कोई एक आदमी आगे बढ़कर मेरे दादाजी के पास पहुंचा और उसने उनको मिठाई दी और शादी में साथ चलने के लिए इनविटेशन दिया, उन सभी को देखकर मेरे दादाजी तो काफी डर चुके थे और एक एक अनजान बारात भी थी उनके लिए तो , इसलिए उन्होंने उसे आदमी से एक मुस्कान के साथ वह लड्डू तो ले लिया | पर फिर उसके बाद उन्होंने वहां पर उनके साथ शादी में चलने से मना कर दिया , और वह फिर पलट के लड्डू लेकर वापस अपने घर की तरफ निकलने लगे | पलटने से पहले मेरे दादाजी ने उनके पैरों की तरफ देखा और उनके सबके पर उल्टे थे |

उनके पैरों को देखने के बाद मेरे दादाजी काफी डर गए और जैसे तैसे पलट कर बहुत तेजी से घर की तरफ निकल पड़े और उन्होंने एक बार भी पीछे पलट कर नहीं देखा |

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