चार दोस्त और डरावनी हवेली | Horror story hindi me
कॉलेज के दोस्तो ने एक बार साथ में कहीं पिकनिक का प्लान बनाया । पिकनिक का प्लान तो बन गया। पर अब कौन सी जगह चला जाए यही सोच कर किसी अलग और बेहतर जगह के लिए चारों ने प्लान किया की वो सभी पहाड़ी वाले जंगल में चलेंगे ताकि वहां पर कोई डिस्टर्ब न करे ।
सभी खूब एन्जॉय करेंगे ऐसा सोच कर अगले दिन राहुल ने अपनी कार ली और उसमे रिया अंकिता राहुल और वैभव निकल पड़े रस्ते में चारो खूब एन्जॉय करते हुए जा रहे थे रास्ता पूरा सुनसान था थोड़ी अजीब सी आवाजें सुनाई दे रही थी पर जंगल में ऐसी आवाज़ें आती हैं तो सभी उन आवाज़ों को इंग्नोरे करके आगे की तरफ चलते जा रहे थे अब वहां पहुंच कर उन सभी ने कार से उतर के चारो तरफ देखा बहुत ही शानदार नज़ारा था। अंकिता तो बहुत खुश हुयी उसको बहुत ही बेहतरीन जगह लगी। वैसे तो चारो ही बहुत एन्जॉय कर रहे थे |
चारो अपने साथ जो सामान लाये थे एक चटाई बिछा सारा सामान निकाल करके वही रख दिया और अपनी पिकनिक एन्जॉय करने लग। थोड़ा सा मौसम भी ठंण्डा था नवंबर के महीनो में वैसे भी रात जल्दी होती है चारो घर से ही ९ बजे निकले थे और यहाँ पहुंचते पहुंचते चारो को टाइम भी काफी हो गया था इसलिए अभी ४ ही बजा था की अँधेरा होने लगा आते वक़्त सुनसान रस्ते भी थे इसलिए रिया और अंकिता राहुल को सामान रख कर वापस घर की तरफ निकलने का बोली। रास्ता भी सुनसान है और रात होने में वक़्त भी लगेगा मौसम भी ठंडा है राहुल भी उसकी बात मान कर सामान रखवाने लगा यहाँ जब तक वो लोग सामान रख रहे थे
वैभव वहां पास में इधर उधर घूम रहा था तभी उसकी नज़र एक हवेली में पड़ी और वो भागता हुआ अपने दोस्तों के पास आ पंहुचा और उन लोगो को वहां के बारे में बताने लगा और चलने की ज़िद्द करने लगा उसकी बातें सुन राहुल भी देखने को काफी बेताब था पर अंकिता वापस चलने की ज़िद्द करने लगी अंकिता ने अगली बार चलने को कहा पर रिया और राहुल एक बार बस देख के वापस चलने का बोल अंकिता को साथ ले गए।
चारो हवेली की तरफ निकल पड़े वो तो मूवी की तरह इस जगह को देखने के लिए काफी खुश थे वहां पहुंच के जब सब अंदर जाने लगे तो अंदर से वो हवेली और ज्यादा सुन्दर थी और काफी बड़ी भी वो लोग जितना आगे बढ़ते वो और बड़ी होती चली जाती ऐसे धीरे धीरे उन लोगो को वहां मज़ा आ रहा था |
अंकिता यहाँ परेशान हो रही थी की उसका फ़ोन का नेटवर्क नहीं आ रहा है वो बहार निकल कर नेटवर्क देखने गयी पर बहार भी नेटवर्क नहीं आ रहा था रिया ने उसके घर बाद में बात करने का कह दिया तो अंकिता भी वहां रुकने के लिए त्यार हो गयी आज रात चारो ने यही रुकने का फैसला किया और फिर कार से अपने जरुरत का सामान लेने वो वापस कार के पास गए और कार हवेली के सामने लगा के जरुरत का सामान और कुछ सुखी लकड़ियां लेकर अंदर चल दिए यहाँ वो दोनों भी उनका इंतज़ार कर रही थी रात हो चुकी थी और ठंडा भी होने लगा था सबने मिलकर लकड़ी इकठा की और आग लगा के चारो एक साथ बैठ के इधर उधर की बातें करने लगे।
थोड़ी देर बाद वैभव टॉयलेट के लिए उनके पास से निकल के देखने लगा पर जहाँ से वो लोग अंदर आये थे वो दरवाज़ा मिल नहीं रहा था काफी देर इधर उधर देखा पर कोई फायदा नहीं हुआ वो वापस भागता हुआ अपने दोस्तों के पास लौट आया और डरकर उनको बताया की रास्ता मिल ही नहीं रह। अब सभी दवाज़ा देखने के लिए निकल पड़े। आगे की कहानी का पार्ट २।
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nice
ThankYou Manish